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मिट्ठा सबाद / कैलाश चौधरी
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लोग कहऽ हथी कि
आज भलाय के जमाना नञ हे
पर भलाय अइसन पेड़ हे कि
ओकरा में भलइये फरतों ।
जदि ओकरा सींचबहु
कोड़बहू-पटइबहु आउ
ओकरा मे खाद पानी देबहू
त बुराई थोडे फरतों ।
आम के पेड़ मे
नीम नञ फर सके हे
फरतों त आमे फरतों ।
ओइसही आज जमाना
केतनों खराब हो गेल हे
भलाय के फल
भलाइये मिलतों ।
एही से भलाय के काम
छोड़े के नञ चाही
चाहे केतनो उलझन आ जाय
भलाय के काम करते रहऽ
समय पर फूलतों-फलतों
आउ पकला पर
अमृत जइसन
मिट्ठा सबाद मिलतो ।