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ई कउन ठौर / मुनेश्वर ‘शमन’
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बड़ी मोसकिल में हियाँ अब परान अइलय।
हाथ! जुलमी के धरे-धरे बिहान अइलय हे।।
कटे मासूम के लहू से रंग रहल धरती।
नथ समइया के कइसन विधान अइलय हे।।
बाँटय-लूटय के खूब जारी हे हरजगह चलन।
अइसन बात पर कतना गुमान अइलय हे।।
फिकिर नत्र जिनका अपन हाथ के फफोला के।
उनकरा वास्ते छुच्छे बयान अइलय हे।।
बढ़ रहल बाढ़ मजलूमन-मजूर के दिन-दिन।
रोज मर-मर के जीअइत बेकस जान अइलय हे।।
लोग गहराल अन्हेरा में जाय भी त• कने।
ई कउन ठौर पर देसवा महान अइलय हे।।