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सादगी / मुनेश्वर ‘शमन’
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सादगी तो साथ दे हइ उमरो भर।
हो जा हइ आसान जीअय के डगर।।
अपन-अप्पन कलेवा संग मोसाफिर।
तय करय अपने तरीका से सफर।।
रोटी मेहनत के जे हो कम कि अधिक।
मजा ओकर जिनगी में अलगे मगर।।
महल के मीनार होवे ऊँच जेतने।
उहाँ ओतने आदमियत जाहे ससर।।
चाहना के चाहिये हरदम्मे लगाम।
चैन-सुख से जीनई चाहे कोय अगर।।
रीत जीवन के एहे, मितवा मोरे।
रात-दिन के बीच एक्कर तो बसर।।