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मत हो राम अधीर / संजीव वर्मा ‘सलिल’
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जीवन के
सुख-दुःख हँस झेलो ,
मत हो राम अधीर
भाव, आभाव, प्रभाव ज़िन्दगी
मिलन, विरह, अलगाव जिंदगी
अनिल अनल परस नभ पानी-
पा, खो, बिसर स्वभाव
ज़िन्दगी
अवध रहो या तजो, तुम्हें तो
सहनी होगी पीर
मत वामन हो, तुम विराट हो
ढाबे सम्मुख बिछी खाट हो
संग कबीरा का चाहो तो-
चरखा हो या फटा
टाट हो
सीता हो या द्रुपद सुता हो
मैला होता चीर
विधि कुछ भी हो कुछ रच जाओ
हरि मोहन हो नाच नचाओ
हर हो तो विष पी मुस्काओ-
नेह नर्मदा नाद
गुँजाओ
जितना बहता 'सलिल' सदा हो
उतना निरमा नीर