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जहाँ रौशनी के ठिकाने रहेंगे / अशोक रावत

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जहाँ रौशनी के ठिकाने रहेंगे,
वहाँ अपना सर हम झुकाते रहेंगे.

हवाएँ बुझाती रहेंगी दियों को,
मगर हम दियों को जलाते रहेंगे.

उसूलों से होगा जहाँ सोच रौशन,
वहाँ हर कदम पर उजाले रहेंगे.

तभी तक सलामत रहेगी ये दुनिया,
मुहब्बत के जब तक फ़साने रहेंगे.

हमें रास आए न आए ज़माना ,
ज़माना से लेकिन निभाते रहेंगे.

नहीं रोक सकता सफलता को कोई,
अगर दिल में पुख्ता इरादे रहेंगे.

वहीं तक रहेगा नदी का ये जल भी,
जहाँ तक नदी के किनारे रहेंगे.