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तितली / आलोक कुमार मिश्रा
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पापा, मैं तितली बन जाऊँ
फूलों पर जाकर मण्डराऊँ
ख़ुशबू से जब जी भर जाए
आपके कान्धे आ सुस्ताऊँ
पापा, मैं तितली बन जाऊँ ।
पीले नीले हरे नारंगी
पँख मेरे होंगे सतरंगी
माँ मुझको पहचान न पाए
उड़-उड़ करके खूब छकाऊँ
पापा, मैं तितली बन जाऊँ ।
कोई पकड़े तो आप छुड़ाना
संग-संग मेरे बाग में आना
किसी जीव को तंग करो मत
तुम समझाओ, मैं समझाऊँ
पापा मैं तितली बन जाऊँ ।