भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दीदी / बालस्वरूप राही
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:15, 23 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
दीदी के जिम्मे दो भाई,
दीदी दी तो शामत आई।
दोनों छोटे चंचल,
करते रहते हाथापाई।
तोड़-फोड़ करते जब दोनों,
दीदी उनकी करे पिटाई।