भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लाल हरी बत्तियाँ / बालस्वरूप राही

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:44, 23 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रोको गाड़ी ब्रेक लगाओ, बत्ती लाल हुई।
लाइन से आगे मत जाओ, बत्ती लाल हुई।
पापा, जल्दी नहीं मचाओ, बत्ती लाल हुई।
जुर्माने की रकम बचाओ, बत्ती लाल हुई।

गाड़ी से बिलकुल न उतरना, बत्ती हरी हुई।
ट्राफिक वाले से क्या दरना, बत्ती हरी हुई।
चौराहा झटपट तय करना, बत्ती हरी हुई।
ठुक जाएगी गाड़ी वरना, बत्ती हरी हुई।