भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छोटे और बड़े / बालस्वरूप राही

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:26, 23 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

राम नहीं थे साधारण नर
वह तो थे भगवान,
किंतु काम आए थे संकट
में उनके हनुमान।

थे हनुमान राम के सेवक
उनके भक्त अनन्य,
उनके कारण पूजे स्वयं भी
हुई साधना धन्य।

यह मत सोचों, जीवन छोटा
का होता है व्यर्थ,
उनके बिना नहीं पा सकते
अपना लक्ष्य समर्थ।

जी छोटा मत करना यदि तुम
बन पाओं न महान,
बन जाओ यदि बड़े, न करना
छोटों का अपमान।