भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बुलाते हैं बादल / बालस्वरूप राही

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:37, 23 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पेड़ हमे देते हैं छाया,
पेड़ हमें देते हैं फल,
पेड़ हमे देते आक्सीजन,
पेड़ बुलाते है बादल।

पेड़ हमें देते हैं लकड़ी,
कुर्सी- मेज बनाते हम,
दरवाजे, खिड़कियों, झरोखों
से घर बार सजाते हम।

पेड़ हमें देते हैं कागज
तो हम लिखते पढ़ते हैं,
पेड़ों के कारण ही जीवन
में हम आगे बढ़ते हैं।

पेड़ों पर आरी चलवाना
अपना गला कटाना है,
हमें पेड़ पौधों के कटने
का दस्तूर मिटाना है।