भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बागडोर / सरोज कुमार
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:58, 24 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोज कुमार |अनुवादक= |संग्रह=शब्द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हम प्यार नहीं करते
हमारी शादी की जाती है
शादी के बाद की करनी को
हम प्यार कहते हैं।
हमारा प्यार
हमारे माता –पिता तय करते हैं
माता-पिता का प्यार
उनके माता-पिता ने तय किया था!
खुफिया आँखों से
जँचा हुआ प्यार
कभी अंधा नहीं होता!
ओ वयस्क युवक-युवतियों,
तुम मनपसंद विधायक चुनो
मनपसंद संसद बनाओ
देश की बागडोर तुम्हारे हाथ में है,
उसी हाथ में,
जिसे अपने प्यार को
वोट देने की इजाजत नहीं है!