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सपाट संसार / सरोज कुमार

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जो झूठ को झूठ नहीं कह पाता,
वह सच को सच क्या कहेगा!
जो दुश्मन को दुश्मन नहीं कह पाता,
वह दोस्त को दोस्त क्या कहेगा!
जो काँटे को काँटा नहीं कह पाता,
वह फूल को फूल क्या कहेगा!

जिसे बुरा नहीं लगता,
उसे भला, भला कैसे लगेगा,
जिसे अन्याय , अन्याय नहीं लगता,
उसे न्याय , न्याय कैसे लगेगा?
जिसे गुलामी, गुलामी नहीं लगती,
उसे आजादी , आजादी कैसे लगेगी?

जिसके लिए पाप, पाप नहीं है,
उसके लिए , पुण्य,पुण्य कैसे होगा?
जिसके लिए आग, आग नहीं है,
उसके लिए पानी,पानी कैसे होगा?
जिसके लिए धरती, धरती नहीं है,
उसके लिए आकाश, आकाश कैसे होगा?

ज्ञान और साहस है-
तो जीवन है ठाठ है!
जड़ता है, भय है-
तो संसार सपाट है।