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आम्रपाली / विचार / भाग 2 / ज्वाला सांध्यपुष्प

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राय मङलन हुनका से अखनि।
राजा उपाय कि करतन कखनि॥
अम्बा समय परसू तक लेलक।
इ बेरिया गौतम के खोजलक॥11॥

मुरदा-मउगी में फरक न हए।
लोग अखनी तक देखलक हए॥
नारी अब जीत के हए गीत।
इ सब्भे बूझकऽ तू चलऽ मीत॥12॥

नारी न खाली फूल उज्जरे।
विश्वास के कनफुल हए टङले॥
अमृत-धार बहे एकरा में।
हिम्मत के आग हए एकरा में॥13॥

सहइअ पीड़ा प्रसव के बेरी।
लिबइअ कनहुँ न पुरुष के ओरी॥
मरे पर ओक्करा इ मरद कनइअ।
उ बिधबा बन बरदास करइअ॥14॥

मउगी सोचत मरद् से जादे।
मरद हरदम रहे ओक्करा आगे॥
अपमान-गरान के न भुलत उ।
पियत जहर, फँसरी पर झुलत उ॥15॥

मरद ओहे जे माघ नहाए।
नारी के उ सम्मान देबाए॥
नारी के बेच अब जराबऽ न।
सती के नाम पर सताबऽ न॥16॥

समय शेष भेल, संसद बइठल।
सांसद सऽ के रहे, हिम्मत बर्हल॥
खूब लथारलन ऊ मग्गह के।
तइआर भेलन लड़-मरे के॥17॥

अम्रपाली न, इ नाक देश के।
अब दुर्गा बनल हए इ भेष में॥
अजात् महिषासुर के इ मारत।
ओक्कर सपना के इ तोड़त॥18॥