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आम्रपाली / कोनहारा / भाग 1 / ज्वाला सांध्यपुष्प

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लउटल मोरचा से विशाल इ।
गेलन पहुँच अब स्कन्धावार।
मंत्री, सेनापति, सांसद लग
आगे युद्ध पर करे विचार॥1॥

थल पर होएल पराजित मग्गह,
अब जल पर ऊ करत लड़ाइ।
गुप्तचर आकऽ बतएलक चुप्प-चुप्प
कुसुमपुर दिस करत चर्हाइ॥2॥

राजा भेजलन युद्ध पंडित के
रमचउरा नगर रातो रात
नेपलिया छउनी के सैनिक सऽ
पहरू देइअ उ रात-बेरात॥3॥

गंङ पर इन्जोरिया चमकइअ
अएना पर ऊ सूर्य प्रकाश॥
बंगदेश के युद्ध जहाज अब
आ गेल सबके करे नाश॥4॥

सौ-सौ नइआ छहले हरदम
पानी पर अब बत्तख समान।
रमचउरा घाट चलल आबे
तेजी से उ बाण समान॥5॥

काप्यक नौबलाध्यक्ष देखलन
नौ सेना मग्गह के करतूत।
आज्ञा देलन सेना के अब
जल में कूद तु भगावअ भूत॥6॥

सायरन बज्ज गेल शंख जकता
तइयार हए नइआ जहाज।
कच्चा निन से सैनिक सऽ जग्गल
मग्गह के माथा हए खराब॥7॥

नइआ रुक गेल जहाँ-तहाँ
जहाजो मग्गह के रुक गेल।
निःशब्द रात में युद्ध करे से
बज्जी-मग्गह दून्नो बच्च गेल॥8॥

गङा हाहाकार करइअ अखनी
बज्जी जयकार करइअ खूब।
भगजोगिनी पिप्पर पर चमके
रमचउरा नगर खिलइअ खूब॥9॥

ठहक्का लगबइअ ऊप्पर इन्जोरिया
ठट्ठा करे इ बज्जी के भाग।
भुरूकबा डूबत होएत भोर
चिरइ चुरमुन्नी जएतन जाग॥10॥