भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
झूठ का दौर / ऋतु त्यागी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:03, 26 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋतु त्यागी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
झूठ के दौर में
सच सोचता है बैठकर
उसका भी कभी वक़्त था
वक़्त में वह था
थोड़ा कड़वा था
पर ज़हर से दूर था।