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एक-एक मिल ग्यारह होते / हरेराम बाजपेयी 'आश'

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एक-एक मिल ग्यारह होते,
मिलकर कदम बढ़ाना है,
हम भी कम हैं नहीं किसी से,
दुनिया को दिखलाना है।
काश्मीयर से कन्याकुमारी
भारत वतन हमारा है,
हम है इसकी प्यारी बुलबुल
यह तो चमन हमारा है,
जिनकी जडें एकता की हों,
ऐसे पेड़ लगाना है।
एक-एक मिल॥1॥

यह नानक का देश
यहाँ पर शब्द-शब्द में शक्ति है
यह गांधी का देश
यहाँ पर देश प्रेम की भक्ति है।
युवा शक्ति को साथ लेकर
आगे कदम बढ़ाना है।
एक-एक मेल॥2॥

रंग-जाती का भेद न कोई,
धर्म एक है, भाई चारा
सबके लिए समान खुले है,
मन्दिर-मस्जिद और गुरुद्वारा,
भारत माँ के सभी है बेटे,
प्रेम का पात पढ़ाना है,
हम भी कम हैं नहीं किसी से॥3॥

होली, ईद-दशहरा हम तो,
मिलकर सभी मनाते है,
कोई भेद नहीं होता है,
सबकी गले लगाते है,
किसी प्रांत में रहो साथियों,
भारत एक ठिकाना है,
एक-एक मिल॥4॥

पूरब का सूरज अपना है,
पश्चिम का चाँद हमारा है,
उत्तर की बर्फ हमारी है,
दक्षिण का सागर प्यारा है,
गंगा और कावेरी का,
अब संगम हमे कराना है,
हम भी कम है नहीं किसी से...
एक-एक मिल॥5॥
 
एक एक मिलकर ग्यारह होते
यह सबको बतलाना है।