मैं भी चलूँ तुम भी चलो, 
मिलकर सभी चले, 
असली भारत बसा जहाँ है, 
आओ गाँव चले। 
हरियाली की चुनर ओढ़े
देखो धरती माता, 
पीली पीली सरसों के संग 
है बचपन मुस्कराता, 
रन झुन करती गायें आएँ 
जैसे ही शाम ढले। आओ गाँव॥1॥ 
बौराए हों आम जहाँ पर, 
कोयल चहक रही, 
मीठी मीठी तान सुनाकर, 
मैना बहक रही, 
बच्चों की टोली हो बैठी, 
देखो आम तले। आओ गाँव चले॥2॥
बोगन बेलिया मगन हो रही, 
पहने सतरंगी साड़ी, 
टेसू हुए बसंती देखो, 
बैठे प्रेम की गाड़ी, 
नाच रही हो जहाँ तितलियाँ, 
भौरें गीत गढ़े। आओ गाँव चले॥3॥
कहीं पर रंग कहीं पर रोली, 
कहीं गुलाल अबीर, 
सभी समान है बाल रंग में, 
नहीं कोई गरीब-अमीर, 
फागुन दरवाजे पर आकार, 
सबसे मिल गले। आओ गाँव चले। 
आओ गाँव चले। आओ गाँव चले॥4॥