विधालय / हरेराम बाजपेयी 'आश'
खुल गए स्कूल सभी पढ़ने चलेंगे,
लड़कियाँ पढ़ेंगी और लड़के पढ़ेंगे।
विद्यालय की होती है महिमा अपरम्पार,
यहाँ ज्ञान के दीप है जलते, मिटता है अंधकार।
अज्ञानता का होता है ज्ञान से विनाश,
नई राह मिल जाती है जिससे होता विकास,
इसी राह पर एक नहीं, अब सारे चलेंगे।
खुल गए स्कूल॥1॥
विद्यालय तो होते है ज्ञान मान का घर,
जिसके पास ज्ञान होता है उसको किसका डर,
विद्यालय वह जगह जहाँ पर पढ़ना लिओखना आए,
सरस्वती का मंदिरहाई सबके मन को भाए,
इस मंदिर मेन बिना फर्क के सभी पढ़ेंगे।
खुल गए स्कूल॥2॥
विद्यालय वह जगह जहाँ पर अनुशासन सिखलाया जाता
विद्यालय वह जगह जहाँ पर प्रेम भाव अपनाया जाता
विद्यालय वह जगह जहाँ पर देश भक्ति सिखलाई जाती,
विद्यालय वह जगह जहाँ नई दिशा दिखलाई जाती
नई दिशा की ओर अब सभी बढ़ेंगे...
खुल गए स्कूल॥3॥
विद्यालय वह जगह जहाँ पट गांधी, नेहरू बनते हैं
विद्यालय वह जगह जहाँ पर राधाकृष्णन मिलते हैं,
विद्यालय वह जगह जहाँ अपर, पी। टी। उषा बनती है,
विद्यालय वह जगह जहाँ पर नींव देश की बनती है,
विद्यालय के जरिए से, कस्तुरी रंगत गढ़ेंगे।
खुल गए स्कूल सभी पढ़ने चलेंगे,
लड़कियाँ पढ़ेंगी और लड़के पढ़ेंगे॥4॥