भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बच्चे स्वस्थ बने कैसे / हरेराम बाजपेयी 'आश'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:05, 13 फ़रवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरेराम बाजपेयी 'आश' |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यही तो मौसम है जिसमें, बच्चों को स्वस्थ बनाना है।
इसमे ज्ञान की बाते हैं, जिनको अमल में लाना है।
बच्चे स्वस्थ बने कैसे,
सुन्दर दिखे फूल जैसे,
रोग रहित हो काया उनकी,
कुछ बाते बतलाना हैं। यही तो मौसम॥1॥

प्रात: जल्दी उठें, अंधेरे
खुली हवा में लेवे फेरे,
सुबह की शुद्ध हवा तो बच्चों,
एक अनमोल खजाना है, यही तो॥2॥

गाजर मेथी पालक गोभी,
लाल टमाटर मक्का की रोटी
सरदी में उपलब्ध ये चीजें,
भोजन अपनाना हैं...यही तो॥3॥

कोई खेल या थोड़ी कसरत,
 सुबह करो तो खुश हो कुदरत,
भीगे चने दूध फल कोई,
नाश्ते में खाना है... यही तो॥4॥

सुबह स्वच्छ रहता तन-मन,
बिन नागा एनआईटी मारो अध्ययन,
सबसे अच्छा यही समय है,
इसको नहीं हैं गंवाना है। यही तो॥5॥

सही समय विद्यालय जाना,
किए गए अभ्यास दिखाना,
अच्छे अंक प्राप्त करना और
अच्छे छात्र कहना है। यही॥6॥

एक बात अब अंत में कहना,
देर रात तक कभी न जगना,
सोने से पहले भी पढ़ना,
यही तो राज पुराना है। यही ति॥7॥