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तुम्हारे लिए / हरेराम बाजपेयी 'आश'
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राह तेरी रही, पाँव मेरे रहे,
और चलता रहा मैं, तुम्हारे लिये।
नींद मेरी रही, स्वप्न तेरे रहे,
और जगता रहा मैं, तुम्हारे लिये।
मूर्ति तेरी रही, पुजा मेरी रही,
और भजता रहा मैं, तुम्हारे लिये।
आँख मेरी रही, अश्रु तेरे रहे,
और झरना रहा मैं, तुम्हारे लिये।
आग तेरी रही, काठ मेरा रहा,
और जलता रहा मैं, तुम्हारे लिये।
पीड़ा तेरी रही, आह मेरी रही,
और सहता रहा मैं, तुम्हारे लिये।
भाव तेरे रहे, शब्द मेरे रहे,
और लिखता रहा मैं, तुम्हारे लिये।