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ये क्या किया मैंने / हरेराम बाजपेयी 'आश'

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तुमसे कुछ माँग कर ये क्या किया मैंने,
उठा हुआ था जो सर, झुका लिया मैंने।

तमाम ज़िन्दगी तन्हाइयों में काटी थी,
आखिरी वक्त्त पर क्यों तुमको बुला लिया मैंने।

तुम्हें कभी भी याद हम नहीं आए, (लेकिन)
तुम्हारी याद में खुद को भुला लिया मैंने।

बहुत कर्ज है ऐ दोस्त तुम्हारे एहसानों का
खजाना साँसों का बेबाक लूटा दिया मैंने॥