Last modified on 13 फ़रवरी 2020, at 23:08

किस्सा यूको बैंक का / हरेराम बाजपेयी 'आश'

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:08, 13 फ़रवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरेराम बाजपेयी 'आश' |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आओ मित्रो तुम्हें सुनायेँ किस्सा यूको बैंक का,
विन्रमता में जुड़ें हाथ दो, चिह्न है यूको बैक का।

आज जहाँ हम आप खड़े हैं, यह तट है पवन रेवा का,
इसकी हर धारा है सिखाती, पाठ हमें जेक्यूएन सेवा का,
त्याग और बलिदान सीखकर, रानी दुर्गावती गई,
आती है आवाज यहीं से, देश बढ़कर कुछ भी नहीं।

च्लिस वर्ष का वीर सिपाही, सजग खड़ा है यूको बैंक
यूको बैंक हमारा बैंक, युकोन बैंक तुम्हारा बैंक, यूको बैंक सभी का बैंक
आओ मित्रों...

इसकी अठारह सौ शाखायें, ज़्यादातर हैं गाँवों में,
कुछ तो ऐसे दुर्गम स्थल, छाले पड़ते पाँवों में,
पर गाँधी ने कहा थ सबसे, उन्नति गाँवों की करना,
इन्हीं में भारत बसा है, महामंत्र मन में रखना।

बापू के सपनों को करता है साकार यह यूको बैंक,
यूको बैंक हमारा बैंक, युकोन बैंक तुम्हारा बैंक, यूको बैंक सभी का बैंक
आओ मित्रों...

जाती, धर्म और रंग भेद को, इसने कभी माना,
बीआईएस सूत्रीय कार्यक्रमों को, इसने सर्वोपरि जाना,
रोटी, कपड़ा और मकान की, सुविधा सबको सुलभ रहे,
विजय सदा श्रम की होती है, कोई न श्रम से विलग रहे,

कर्मठ को है काम दिलाता और मुस्काता यूको बैंक
यूको बैंक हमारा बैंक तुम्हारा बैंक, यूको बैंक सभी का बैंक
आओ मित्रों...

कृषि उत्पादन में वृद्धि करता, देकर खाद बीज बिजली,
माल मंगाते है अब हुमसे, रॉम, रूस, काबुल, इटली,
स्वावलम्ब जिसमें होती है, यूको साथ निभाता है,
देकर मदद अर्थ की उसको, नई राह दिखलता है,

शिक्षा, शादी, कृषि, धन्धे की, चिंता हरता यूको बैंक
यूको बैंक हमारा बैंक, यूको बैंक तुम्हारा बैंक, यूको बैंक सभी का बैंक
आओ मित्रों...

छिन्दगढ़ हो तो या शहर कलकता, लन्दन में भी यूको बैंक
देश विदेश में चर्चा इसकी, सबका साथी यूको बैंक,
आज बचत तो कल है सुरक्षा, यह सिखलाता यूको बैंक,
तन, मन, धन से देश की सेवा, सतत कर रहा यूको बैंक,
हर मेहनत का अभिनंदन, आज कर रहा यूको बैंक
यूको बैंक हमारा बैंक, यूकों बैंक तुम्हारा बैंक, यूको बैंक सभी का बैंक
आओ मित्रों...