भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रंग-भेद / पद्मजा बाजपेयी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:58, 14 फ़रवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पद्मजा बाजपेयी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

श्वेत वर्णों का काला दिल, कर रहा है जुल्म ही जुल्म,
श्याम वर्ण वाले इंसान नहीं होते? उनमे दिल और दिमाग नहीं होते?

चमड़ी की सफेदी, महानता का प्रतीक नहीं,
रंगो का अंतर देखने वालो, सड़ी हुई वस्तु हो, जीवित इंसान नहीं।

जलवायु के इस जादू को, देखों पर भूलो मत,
कालिमा के बीच कहीं, गौर हृदय बसता है?

श्यामलता अभिशाप नहीं, पृथकता की नीति त्याग,
रंग-रूप भेद छोड़, आओ समता का पाठ पढे।