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समय का स्वरुप / पद्मजा बाजपेयी

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समय का पहला स्वरूप, सहज-सुन्दर और सरल,
सभी अपने और अपनों से प्यार,
छोटे-छोटे कदम और बढ़ता संसार।
समय का दूसरा स्वरूप, अनेक सम्बन्ध और
सम्बन्धों की पहचान, अल्प ज्ञान और ढेर सारे सवाल।
समय का तीसरा स्वरूप, अपने अस्तित्व और कर्तव्य का ज्ञान,
प्रेम की पुकार और किसी साथी की तलाश।
समय का चौथा स्वरूप, स्पर्धा, भाग-दौड़ और
उसी के साथ भागता समय, कब कहाँ और-और और कैसे,
हाथ से निकलता यौवन।
समय का पांचवां स्वरूप बेबस, असहाय,
थके हाथ और पांव, यात्रा का अंतिम पड़ाव,
आत्मा का प्रभाव और अमरत्व से लगा।