Last modified on 18 फ़रवरी 2020, at 18:54

दिल्ली से आवाज उठी है / राहुल शिवाय

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:54, 18 फ़रवरी 2020 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दिल्ली से आवाज उठी है
सबको काम दिया है हमने

आज देश का युवा पढ़ा है
कुछ तो वह कर के जी लेगा
दूध नहीं दे पाए हम तो
पानी ही जी भर पी लेगा
काम बड़ा, छोटा होता है
उनसे कहा बताओ किसने

उम्मीदें बाँधी जो हमसे
उम्मीदों पर खरे रहेंगें
पाँच वर्ष में इतनी गहरी
खाई कैसे कहो भरेंगें
अगले पाँच वर्ष में देखो
कैसे पूरे होंगे सपने

अभी नगर को महानगर-सा
बनने में कुछ देर लगेगी
हैं विकास में लगे हुए हम
सब्र करो, नौकरी मिलेगी
आश्वासन से हल निकलेगा
आखिर हम हैं उनके अपने

रचनाकाल-16 फरवरी 2016