झूठ / मिथिलेश कुमार राय
उनसे जब मिलूँगा तो क्या कहूँगा
यह अभी से सोच लिया है
कहूँगा कि हाथ में कुछ आया तो था
लेकिन साथ ही एक आफ़त भी आ गई
उसी में फिर हार गया
आप भरोसा रखिए
जल्दी ही सब चुकता हो जाएगा
लेकिन अगर वह भी टकरा गया राह चलते
और पूछ लिया कि मिले नहीं
तो उसे क्या जवाब दूँगा
कुछ भी कह दूँगा
जैसे कि सब छोड़-छाड़ कर बेटी के यहाँ भागना पड़ा
वह तकलीफ़ में आ गई थी
क्या करता अपना जाया है
देखा नहीं जाता
आपको यह सब बताने आज ही आता
कि अब सब ठीक है
जल्दी ही मिलूँगा आपसे
आगे कभी शिकायत का मौक़ा नहीं दूँगा
किस-किस को कहता रहूँगा यह
कि पूरे साल खाऊँ
इतना भी नहीं मिला खेत से
कह भी दूँगा तो इससे उन्हें क्या
उन्हें तो अपना दिए से मतलब है
जैसे भी हो इसी अँकुरित दाने को दिखाकर
खींचना पड़ेगा जीवन
आगे जो होगा वह देखा जाएगा