Last modified on 4 मार्च 2020, at 18:42

जीवन एक पहेली / ऋचा दीपक कर्पे

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:42, 4 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋचा दीपक कर्पे |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जीवन एक पहेली
कुछ उलझी-सी कुछ सुलझी सी...
हर पल नई नवेली
कुछ रुकती-सी कुछ चलती सी...

कुछ सवाल कुछ जवाब...
कुछ चेहरे कुछ नक़ाब...
कभी खुद से ही खफा हूँ मैं,
हैं शिकायतें बेहिसाब...

कौन कब अपना है...
कौन कब पराया है?
किसके दिल में कब क्या है
ये कौन जान पाया है?

सामने ढेरों सवाल हैं...
पर जवाब कहाँ है?
कहने को मेरा कुछ भी नही
कहने को सारा जहाँ है...!

चलती जा रही हूँ...
कुछ ठहरी-सी, कुछ सहमी-सी...
जीवन एक पहेली
कुछ उलझी-सी कुछ सुलझी सी...