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नए साल की नई तारीख़ों में / मुकेश निर्विकार

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नए साल की नई तारीख़ों में,
बस्तों से बचाना है बचपन,
कोख से बचानी हैं कन्याऐं,
स्वार्थों से बचाने हैं सम्बन्ध,
संबंधों में बचाने हैं संवाद,
संवादों में बचानी हैं चिट्ठियां!

नए साल की नई तारीख़ों में
विलोपन से बचानी हैं वनस्पतियां,
जीव-जन्तु, किस्से, कहानी, कहावतें,
भाषा के बिसरे शब्द, बोली-बानी!

नए साल की नई तारीख़ों में
शहरों से बचाने हैं गांव,
गांव में बचाना है किसान,
कंक्रीट से बचानी है घास और घोंसले,
हाई-वे से बचानी हैं पगडंडियां
प्रदूषण से बचानी है हवा,
हवा में बचाना है जीवन!

नए साल की नई तारीख़ों में
बिकने से बचाना है विश्वास,
मिलावट से बचाने हैं खाद्य पदार्थ,
मिक्सी से बचाने हैं सिल-बट्टे,
अस्पतालों से बचाने हैं नुस्खे,
वासना से बचाना है प्रेम,
नफ़रत से बचानी है इंसानियत!

नए साल की नई तारीख़ों में
घरों में बचाने हैं आंगन,
आंगन में बचाना है आकाश,
आकाश में बचानी हैं कल्पनाऐं,
कल्पनाओं में बचाना है जीवन,
जीवन में बचानी है शांति, सुकून,
सादगी, सरलता, सहजता, सदाचार्
सद् चित् आनन्द!

नए साल की नई तारीख़ों में
बहुत कुछ सहेजना है पुराना
सचमुच, नवीनता लाने के लिए!