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क्यारी की निराई / पीटर पाउलसेन / अनिल जनविजय

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क्यारी पर झुकी हुई औरत को देखकर
भटक जाता है मेरा ध्यान
गुलाब के फूलों की तरफ़ से ।

जिस बग़ीचे में वह खड़ी है
लगने लगता है वह
अल्बर्टा काइरो<ref>प्रसिद्ध पुर्तगाली कवि फ़ेर्नान्दो पेस्सोआ के 72 छद्मनामों में से एक।</ref> की कविता में व्यक्त बग़ीचा ।

क्यारियों में लगे फूल इतने डरे-डरे लगते हैं
मानो पुलिस आने वाली हो उनके पास ।

इस तरह के बग़ीचे ज़रा भी प्राकृतिक नहीं होते।
उन्हें इस तरह लगाया जाता है
मानो कोई सैन्य-परेड हो रही हो ।

ऊपर की ओर उठा औरत का पिछवाड़ा
मेरे मन में छिपी वृत्तियों को उकसाता है
अब मेरे दिमाग में सरक रहा है
आदिम तृष्णाओं और वृत्तियों का साँप।

रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता रूसी भाषा में पढ़िए
              Петера Поульсена  
                    Полольщица

Женщина, склонившаяся над клумбой,
отвлекает мои мысли от роз.

Сад, в котором она стоит,
выглядит как в стихотворении Алберту Каэйру*:
“у цветов на регулярных клумбах испуганный вид,
словно к ним вот�вот нагрянет полиция”.

Подобные сады не имеют с природой
ничего общего. Их строгая планировка
немало напоминает мне
военный парад.

Задранный женский зад, напротив,
будоражит заторможенные инстинкты,
и мой рептильный мозг закипает
поистине с первобытной силой.



  • Один из гетеронимов португальского поэта, прозаика и драматурга Фернандо Пессоа (1888—1935).
शब्दार्थ
<references/>