भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चींटी की चिट्ठी / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:59, 12 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
चींटी के घर चिट्ठी आई,
हाथी से पढ़वाई।
पापाजी बीमार बहुत हैं,
सुनकर वह घबराई।
गई गाँव तो पापाजी को,
हंसते-गाते पाया।
गलत सूचना थी हाथी की,
उस पर गुस्सा आया।
अब जब भी हाथी मिलता है,
चींटी चिल्लाती है।
अभी सूंड में घुसती तेरी,
कहकर धमकाती है।