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गति / अंशु हर्ष

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मेरे मन की गति को देखो
चाँद के साथ ढलती है
और सूरज के साथ
फ़िर निकल पड़ती है
अनवरत ...
बिना विराम
अब बताओ
चल सकते हो मेरे साथ
इस गति से
जिसपे चलकर
मैं पार पाना चाहता हूँ
हर अभिलाषा का ...