भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अधुरापन / मनीष मूंदड़ा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:38, 21 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनीष मूंदड़ा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कुछ दर्द के लम्हें...
एकाकी और अधूरापन का साथ...
जमाने भर की शिकायतें जमाने से
अधूरा नसीब...
पुरानी बातें,
नए जख़्म...
जिंदगी की उधेड़बुन...
उकसाता है मुझे मेरे अंतर्मन को...
कुछ लिखने को कुछ रंगने को
ताकि मैं कुछ भरपाई कर पाऊँ
इस अधूरेपन भरी ज़िन्दगी को...