भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अमर सितारे / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:31, 3 सितम्बर 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह= तारों के गीत / महेन्द्र भटनाग...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


टिमटिमाते हैं सितारे !
दीप नभ के जल रहे हैं
स्नेह बिन, बत्ती बिना ही !
मौन युग-युग से
अचंचल शान्त एकाकी !
लिए लघु ज्योति अपनी एक-सी,
निर्जन गगन के मध्य में।
ढल गये हैं युग करोड़ों
सामने सदियाँ अनेकों
बीतती जातीं लिए बस
ध्वंस का इतिहास निर्मम,
पर अचल ये
हैं पृथक ये
विश्व के बनते-बिगड़ते,
क्षणिक उठते और गिरते,
क्षणिक बसते और मिटते
अमिट क्रम से
मुक्त वंचित !
कर न पायी शक्ति कोई
अन्त जीवन-नाश इनका।
ये रहे जलते सदा ही
मौन टिमटिम !
मुक्त टिमटिम !