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स्वर्ग से सुन्दर बा / सुभाष चंद "रसिया"

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बाबूजी के सपना बा, माई के दुलरवा।
स्वर्ग से सुंदर बा, आपन ई घरवा॥

मटिया के रौद-रौद लोनवा बनवली।
संगे-संगे बाबूजी के हथवा बतवली।
बाटे सनेहिया से बनल ओसरवा॥
स्वर्ग से सुन्दर बा आपन ई घरवा॥

चुम के चौकट जाईला रोज बहरा।
कुल देवता के बा घरवा में पहरा।
खड़ा निबिया के पेड़वा दुवारवा॥
स्वर्ग से सुन्दर बा आपन ई घरवा॥

संस्कार के पेवन दादी लगावे।
ममता कि लेवा पर हमके सतावे।
डाली अचरा के अपनी ओहरवा॥
स्वर्ग से सुन्दर बा आपन ई घरवा॥

जतवा में पिसी-पिसी अटवा बनवली।
चुल्हिया पर सेकि-सेकि रोटियाँ खियवली।
हो माई जईसन करी केअब दुलरवा॥
स्वर्ग से सुन्दर बा आपन ई घरवा॥

भूले ना भुलाला माई के सुरतिया।
बचपन के याद आवे दादी के बतिया।
हो "रसिया" अखियाँ में करी के कजरवा॥
स्वर्ग से सुन्दर बा आपन ई घरवा॥