भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छठी मैया की गोंदिया / सुभाष चंद "रसिया"
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:05, 27 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुभाष चंद "रसिया" |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
गइया कि दुधवा से भानु के मनाई।
जल्दी आई सैया रउरा अर्घ चढ़ाई॥
होते भिनुसार अब भइले पहपटवा।
करजोर खड़ा बानी नदिया के घटवा।
छठी माई की बेदिया पर हुमवा कराई॥
जल्दी आई सैया रउरा अर्घ चढ़ाई॥
बॉस की डलरिया में फलवा सजाके।
छठी माई की गोंदिया में नेहिया लगाके।
इखिया में अच्छत के गठिया बन्हाई॥
जल्दी आई सैया रउरा अर्घ चढ़ाई॥
श्रद्धा से तोहके मइया जग सारा पूजे।
तोहरी दुवारे मइया, गीत अब गूजे।
फलवा से सजी धजी कोसिया भराई॥
जल्दी आई सैया रउरा अर्घ चढ़ाई॥
केहू माँगे अंधन केहू माँगे सोनवा।
केहू मांगे गोंदिया में खेलके ललनवा।
विनती बा रसिया के साधिया पूराई॥
जल्दी आई सैयाब अर्घ चढ़ाई॥