भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तोहके देखे बदे / सुभाष चंद "रसिया"

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:53, 27 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुभाष चंद "रसिया" |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तोहके देखे बदे हम बहाना करी।
केहू पुछेला हमसे त ना-ना करी॥

बात दिल के करी दर्द खुद ही सही।
गम की दरिया में रोजहि डूबत रही।
होजा अँखियाँ से ओझलत आहे भरी॥
केहू पुछेला हमसे त ना-ना करी॥

पतिया लिखली सारी रैना हम जाग के।
यश विधाता बनवलेअब मोरी भाग्य के।
लेके हथवा में पतिया छुपावल करी॥
केहू पुछेला हमसे त ना-ना करी॥

बिना पर के परिंदा निहन हाल बा।
भरल रहिया में बहुते ही जंजाल बा।
का कहि अब जमाना खुद से डरी॥
केहू

लोर से गमछा रसिया जी तर हो गइल।
बिना पानी के मछली-सा डर हो गइल।
याद में तोहरी ढिबरी जरावल करी॥
केहू पुछेला हमसे त ना-ना करी॥