ससुराल नहीं जाऊंगी माँ,
मैं शाला पढ़ने जाऊंगी।
हूँ अभी बहुत ही छोटी सी,
बस बच्चा धर्म निभाऊंगी।
है उम्र अभी नन्हीं नन्हीं,
मैं योग्य नहीं हूँ शादी के।
बचपन की शादी का मतलब,
ये पग हैं सब बरबादी के।
मैं सब से साफ-साफ कह दूं,
मैं दुल्हन नहीं बन पाऊंगी।
हूँ अभी बहुत ही छोटी सी,
बस बच्चा धर्म निभाऊंगी।
छोटी आयु में शादी का,
था चलन शहर और गावों में।
मैं यह सब सुनती रहती हूँ,
माँ कविता और कथाओं में।
यह रीत पुरानी बंद करो,
मैं यह न दुहरा पाऊंगी।
हूँ अभी बहुत ही छोटी सी,
बस बच्चा धर्म निभाऊंगी।
बचपन के नीले अबंर में,
मुझको भी कुछ दिन उड़ने दो।
मुझको अपने अरमानों की,
सीढ़ी को चढ़ने गिनने दो।
अब किसी तरह् कॆ बंधन में,
मैं अभी नहीं बंध पाऊंगी।
हूँ अभी बहुत ही छोटी सी,
बस बच्चा धर्म निभाऊंगी।
अब मॆरे पर कतरे कोई,
यह बात मुझे मंजूर नहीं।
आने वाले दिन बिटियों के,
ही होंगे वह दिन दूर नहीं।
अपनी मंजिल अपनी राहें,
मैं अपने हाथ बनाऊंगी।
हूँ अभी बहुत ही छोटी सी,
बस बच्चा धर्म निभाऊंगी।
सीता बनने की क्षमता है,
मैं सावित्री बन सकती हूँ,
वीर शिवाजी छत्रसाल से,
महा पुरुष जन सकती हूँ।
पर उचित समय आने पर ही,
तो मैं यह सब कर पाऊंगी।
हूँ अभी बहुत ही छोटी सी,
बस बच्चा धर्म निभाऊंगी।