भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आम पका / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:49, 29 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

टपका-टपका अभी सामने,
बीच सड़क पर आम पका।

खेल-खेल में गप्पू के संग,
निकले थे मस्ती करने।
ब्रश मंजन कर निकल पड़े थे,
नगर भ्रमण गश्ती करने।
सड़क किनारे आम वृक्ष था।
खड़ा अदब से झुका हुआ।

छत के कंधे पर सिर रखकर,
पेड़ खड़ा मुस्काता था।
मीठे फल, आ जाओ, खिलाऊँ,
कहकर हमें बुलाता था।
हम पहुँचे तो हमें देखकर
ठिल-ठिल कर वह खूब हंसा।

सिर को हिला हिलाकर उसने,
पके-पके फल टपकाए।
हम बच्चे भी बीन-बीन कर,
ढेर आम घर पर लाए।
गिरते एक आम को मैनें,
अपने हाथों में लपका।