भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लड़कियां / प्रदीप कुमार

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:53, 1 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीप कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लडकियाँ हैं तो उत्सव है
उमंग है
विदाई के गीत हैं
लडकियाँ हैं तो संगीत है
प्रेम है प्रीत है
लडकियाँ हैं तो सजती हैं चूड़ियाँ,
जंचते है कंगन
लडकियाँ हैं तो संस्कार है,
रिश्तों में खनकती झंकार है
लडकियाँ हैं तो सावन के झूले है
राखी का त्यौहार है
होली है
रंगों की फुहार है
लड़किया हैं तो भाव है,
अलहड़पन है लगाव है
लड़कियाँ हैं तो देने का सुख है
लड़कियाँ बुनियाद है
परिवार का आधार हैं॥