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पतंग / प्रदीप कुमार
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दस साल का है अभी
कड़ाके की सर्दी में भी
टयूशन से लौटते ही
छत की और दौड़ पड़ता है
पतंग उड़ाने को।
पर नहीं उड़ा पाता
लाख प्रयास के बाद भी।
रोज नए जतन
नए तरीके और उर्जा में भी कमी नहीं उसके।
पतंग तो उड़ेगी ही
उड़ना ही पड़ेगा।
उम्र के साथ जीतने की भूख भी बढ़ती है।
और बढ़ता है विश्वास
आसमान छूने का।
आज पतंग उड़ रही है॥