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हुआ रिश्ता जो बदतर देख लेना / रंजना वर्मा
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हुआ रिश्ता जो बदतर देख लेना।
सभी के हाथ खंज़र देख लेना॥
मुहब्बत जब खिलेगी फूल बनके
सुहाना होगा मंज़र देख लेना॥
नहीं पूरे हुए अरमान दिल के
कोई हसरत जगा कर देख लेना॥
बसी सूरत तुम्हारी दिल में मेरे
कभी नजरें मिला कर देख लेना॥
झलकती है निगाहों से शराफ़त
जरा नजदीक आकर देख लेना॥
नज़र आये जो कोई चाँद सूरत
उमड़ आये समन्दर देख लेना॥
फ़रिश्ते रूबरू होंगे तुम्हारे
जहाँ से भी गुजर कर देख लेना॥