भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज पुरवा बड़ी सुहानी है / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:37, 3 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=ग़ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज पुरवा बड़ी सुहानी है।
खूब खुशबू है औ रवानी है॥

चाँदनी रात है बड़ी प्यारी
चाँद के प्यार की निशानी है॥

चूमती प्यार से जिसे तितली
फूल पाने लगा जवानी है॥

लोग सुन कर हँसी उड़ायेंगे
पीर दिल की सदा छुपानी है॥

आग है हिज्र की जली दिल में
अश्क़ की धार से बुझानी है॥

खा चुके हैं क़सम वफाओं की
रस्म हमको ही वह निभानी है॥

हैं जो एहसास दर्दमंदों के
हर कहानी मेरी कहानी है॥