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जीवन जीने के लिये अपनापन दरकार / रंजना वर्मा

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जीवन जीने के लिये, अपनापन दरकार।
इस दुनियाँ में चाहिए, बस थोड़ा-सा प्यार॥

यों तो कई विकल्प पर, किन्तु मोह आधीन
लोभ मोह करते नहीं, कभी स्वप्न साकार॥

मन से घृणा मिटाइये, व्यर्थ न कीजे लोभ
जन-सेवा होती नहीं, औरों पर उपकार॥

ले नफ़रत के बीज अब, बोते हैं कुछ लोग
नित्य दानवी वृत्ति से, करते अत्याचार॥

जीवन तो ऐसा मिला, ज्यों बालू की भीत
प्रीति नीर से ही मिले, जीवन शक्ति अपार॥

गिरवी रखें न ज़िन्दगी, करें सदा शुभ कर्म
सदाचार होता सदा, जीवन का आधार॥

खेती करिये प्रेम की, ले मानवता-नीर
उगे फसल जब प्यार की, सुखी बने संसार॥