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फुलवारी / मुस्कान / रंजना वर्मा

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फुलवारी के फूल तुम्हें हैं
बच्चों कुछ सिखलाते।
कहते हैं ये हँस-हँस कर
तुम रहो सदा मुसकाते।

गुनगुन करता भँवरा कहता
निकट सभी के जाओ।
गुण ले लो सब से सारे तुम
अवगुण दूर भगाओ॥

नन्हीं तितली उड़ती जाती
इतराती इठलाती।
कितनी बातें चुप रह कर भी
है तुम को सिखलाती॥

कहती है यह प्यारे बच्चों
तुम भी आलस छोड़ो।
जैसे मैं उड़ती फिरती हूँ
तुम भी खेलो दौड़ो॥

चंचल चपल विहँसते बच्चे
सब का मन हरते हैं।
बात मानते सदा बड़ों की
सबको खुश करते हैं॥