भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आँसू मोती / मुस्कान / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:27, 4 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=मुस...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वर्षा कि रिमझिम बूँदें
धरती की प्यास बुझाती।
नदियाँ लहरा-लहरा कर
दुनियाँ की भूख मिटातीं॥

हैं वृक्ष दिया करते फल
नन्हे पौधे सुमनों को।
पर तुम क्या दे पाते हो
सुख गैरों को अपनों को?

जीवन वह ही जीवन है
जो औरों के हित चलता।
आँसू बनता है मोती
जो लिये और के ढलता॥