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नयन मील दीप जल गये / रंजना वर्मा
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नयन मिले दीप जल गये।
पतझड़ में फूल खिल गये॥
इंद्रधनुष उग आया मन के आँगन
फूली अमराई-सा बौराया मन।
व्याल पुष्प माल बन गये।
पतझड़ में फूल खिल गये॥
सिहरा तन अधरों पर भोला कंपन
महक उठी साँसों ने थामी धड़कन।
अँखियों को बोल मिल गये।
पतझड़ में फूल खिल गये॥
एक किरन दीप का सिंगार कर गयी
अंधियारी कोने में कहीं मर गयी।
तिमिर हेतु काल बन गये।
पतझड़ में फूल खिल गये॥
छूट रहीं फुलझड़ियाँ मानस के तीर
तन की दीपावली सजा रहा समीर।
मावस को दीप छल गये।
पतझड़ में फूल खिल गये॥