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हे हंसवाहिनी स्वागत करूँ तुम्हारा / रंजना वर्मा
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हे हंस वाहिनी माँ स्वागत करूँ तुम्हारा।
यशगान नित तुम्हारा ही लक्ष्य हो हमारा॥
माँ शारदे नमन हो चरणों में नित तुम्हारे
तुमने ही निज जनों को अज्ञान से उबारा॥
आये शरण तुम्हारी तक लोक लाज सारी
तव कृपा नित्य बनकर बहती है गंग धारा॥
हम शक्तिहीन हैं माँ पतवार बिना नैया
यदि हो कृपा तुम्हारी मिल जायेगा सहारा॥
रूठे भले जगत यह माँ तुम न रूठ जाना
शिशु को सदा अभीप्सित माता का ही सहारा॥
झनकार रहे माता सब छंद अनु नूपुरों में
व्यर वीण दण्ड मंडित शुभ हाथ है निहारा॥
पद युगल शुभ तुम्हारे रज रंच मात्र पाऊँ
उद्धार मेरा होगा यह जगत ने पुकारा॥