भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दृष्टि जब तुम पर पड़ी है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:38, 4 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=आस क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
दृष्टि जब तुम पर पड़ी है।
छवि वही दिल में गड़ी है॥
भूल भी जायें अगर तो
लगी आँसू की झड़ी है॥
लें बना मनमीत तुम को
कामना जिद पर अड़ी है॥
अश्रुओं का हार जैसे
मुक्त मुक्ता कि लड़ी है॥
यह हमारा गीत प्यारा
प्रेम बन्धन की कड़ी है॥