भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

न यों दूर रहकर सताया करो / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:00, 5 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=आस क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

न यों दूर रह कर सताया करो।
कभी साँवरे पास आया करो॥

निशा चाँदनी छेड़ कर रागिनी
सदा बाँसुरी मत बजाया करो॥

निराली तुम्हारी त्रिभंगी अदा
दिखा दिल हमारा लुभाया करो॥

रहें वारते भक्त-जन प्राण भी
वही मोहिनी छवि दिखाया करो॥

विरद दीनजन को सदा सुख मिले
किया है जो' वादा निभाया करो॥