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मीत गधे / लक्ष्मी खन्ना सुमन
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क्यों गुमसुम हो मीत गधे
गाओ मीठे गीत गधे
हो कुम्हार या हो धोबी
लो सबका मन जीत गधे
देख दुल्लत्ती को तेरी
सिंह हुआ भयभीत गधे
शिकन नहीं यह भूसा भी
है तुमको नवनीत गधे
गर्मी-सर्दी सबमें ही
छेड़ रहे संगीत गधे
क्या कलियाँ क्या 'सुमन' तुम्हें
हरी घास सुख नीत गधे